
उन्नति का मंत्र
दोस्तों आज हम एक कविता के माध्यम से विद्यार्थियों को और छोटे बच्चों को समय का महत्व यानी उन्नति का मंत्र समझाना चाहते हैं। समय एक बहुमूल्य धन है। यह कभी लौट कर नहीं आता। इसलिए समय के महत्त्व को समझो।
समय को कभी व्यर्थ न गँवाओ। समय पर किया गया काम ही अच्छा होता है। जो विद्यार्थी समय के महत्त्व को नहीं समझते, वे बाद में पछताते हैं। ऐसे लोग जीवन में ठोकरें खाते रहते हैं। इसी कारण हमारे महापुरुषों ने समय को बड़ा महत्त्व दिया है।
उन्नति का मंत्र
कभी सवेरा कभी अंधेरा,
कभी चाँद मुसकाता है।
खिलता फूल कभी डाली पर..
वही कभी झड़ जाता है।
कभी बालपन मिलता हमको,
कभी जवानी आती है।
पागल बन जब झूमा करते.
तभी जरा आ जाती है।
कभी उमड़ते नदियाँ-नाले,
कभी भूल ही उड़ती है।
अँधेरी रजनी में धरती.
ओस-कणों से घुलती है।।
समय निरंतर बढ़ता जाता.
बदल रहा जग जीवन है।
बदल रही है पत्ती-पत्ती.
रहा बदल सब कण-कण है।।
यदि इच्छा है सुख की तुमको.
समय व्यर्थ मत खोना रे।
जो कुछ करना, करो समय पर
नहीं आलसी होना रे ।।
समय मान है, समय प्राण है,
समय सभी सुखदाता है।
समय नष्ट नहीं कर कोई भी,
विद्या धन सुख पाता है।।
नहीं समय को कभी गंवाओ,
उन्नति का यह मंत्र सदा।
मूल्य समय का जो पहचाने,
मिटती उसकी सब विपदा।।
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उन्नति का मंत्र कविता का सारांश
कवि ने समय के लगातार बदलने और उसके अच्छे-बुरे प्रभावों को अपनी कविता में प्रकट किया है। समय बदलने के साथ कभी सवेरा होता है तो कभी रात का अंधेरा । कभी पौधों पर फूल महकते हैं तो कभी झड़ जाते हैं। बचपन जवानी में बदलता है तो जवानी बुढ़ापे में बदल जाती है।
संसार का कण-कण बदलता है। मनुष्य को समय की इज्जत करनी चाहिए। उसे कभी भी गंवाना नहीं चाहिए। समय ही मान है, प्राण है और सब सुखों का दाता है। कभी समय न गंवाना ही सब सुखों को प्राप्त करने का मूल मंत्र है। कवि कहता है कि समय लगातार बढ़ता जाता है। समय बीतता रहता है। इसी के साथ संसार का जीवन भी बदलता रहता है।
दुनिया में पत्ती- पत्ती और हर कण बदल रहा है। अरे मानव ! यदि तुम सुख चाहते हो तो अपना समय व्यर्थ मत गँवाओ। तुम्हें जो कुछ भी करना है, उसे समय पर कर डालो। आलसी बनकर रहना बुरी बात है।
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