
बाल श्रम पर निबंध
आज हमारे देश में किसी भी बच्चे के द्वारा कठिन कार्य करना, बाल मजदूरी करना आम बात हो गई है। दोस्तों आज हम बाल श्रम पर निबंध द्वारा इसी विषय के बारे में जानेंगे। बाल श्रम को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है। बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही गंभीर विषय है।
प्रस्तावना- किसी भी बच्चे से पैसों या अन्य किसी भी लोभ के बदले में करवाए गए किसी भी तरह के काम को बाल श्रम ( बाल मजदूरी) कहा जाता है। बाल श्रम संपूर्ण रूप से गैरकानूनी है। विकासशील देशों में भी जीवन जीने के लिए बच्चे बेहद कम पैसे पर अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर हैं।
वह स्कूल जाना चाहते हैं अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहते हैं तथा दूसरे अमीर बच्चों की तरह अपने माता पिता का प्यार और परवरिश पाना चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी सभी इच्छाओं का गला घोट कर मजदूरी करनी पड़ती है। बाल श्रम एक अभिशाप है जिसने अपना जाल पूरे देश में बिछा दिया है।
प्रशासन की लाखों कोशिशों के बाद भी यह अपना विकराल रूप लेने में सफलता प्राप्त कर रहा है। बाल श्रम हमारे समाज के लिए एक कलंक बन चुका है। बाल मजदूरी को समाज में हर वर्ग द्वारा निंदित भी किया जाता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे को मजदूरी करने के लिए विवश करता है तो हम मौन रहते हैं उस व्यक्ति के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करवाते।
सरल शब्दों में कहे तो जो बच्चे 15 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेलकूद, शिक्षा का अधिकार छीन कर उन्हें काम में लगा कर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर कम पैसों में काम करवाना और बच्चों के बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना ही बाल श्रम कहलाता है।
बाल श्रम के कारण- बाल श्रम (बाल मजदूरी) के निम्नलिखित कारण है।
शिक्षा का अभाव- शिक्षा के अभाव के कारण माता-पिता सोचते हैं, कि उनका बच्चा जितना जल्दी काम करना शुरू करेगा उतना ही उनके लिए अच्छा होगा। वे सोचते हैं कि बच्चा काम करेगा तो कम से कम अपना खर्चा तो उठाएगा ही।
गरीबी- भारत देश की ज्यादातर आबादी गरीबी से पीड़ित है। कुछ परिवारों को भरपेट खाना भी एक सपना जैसा लगता है। गरीबी और भुखमरी की वजह से ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को दूसरे घरों में और दुकानों में काम करने के लिए भेजते हैं।
पारिवारिक परिस्थिति- कई बार बच्चों की पारिवारिक मजबूरियां भी होती है, क्योंकि कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती है जिसके कारण उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहता । इससे उन्हें मजबूरी वश बचपन में ही होटलों, ढाबों, चाय की दुकान, कल – कारखानों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है।
जनसंख्या वृद्धि- हमारे देश में जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिसके कारण गरीब परिवारों में जरूरत की वस्तु कम तथा सदस्य ज्यादा होते हैं। अपनी दिन प्रतिदिन की जरूरत पूरी करने के लिए व घर चलाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों को मजदूरी करनी पड़ती है। जिसमें बच्चे भी शामिल होते हैं इसलिए ना चाहते हुए भी बच्चों को परिश्रम करना पड़ता है।
भ्रष्टाचार- बच्चों से काम कराने वाले बड़े-बड़े होटलों के मालिक, कारखानों के मालिक व और भी अमीर लोग बेझिझक बच्चों से मजदूरी करवाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर उन पर कोई कानूनी कार्यवाही भी हुई तो रिश्वत देकर वे अपने आप को निर्दोष साबित कर देंगे।
बाल श्रम के दुष्परिणाम- बाल श्रम की वजह से देश का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। साथ ही साथ गरीबी और बेरोजगारी और अधिक बढ़ रही है, क्योंकि बाल मजदूर अशिक्षित होने के कारण अपनी मेहनत का सही मोल नहीं जानते, वे कम पैसे में भी कठिन काम करते हैं। गरीब बच्चे निर्धारित समय से भी ज्यादा समय में मेहनत करते हैं और कम पैसे में करते हैं।
बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक बच्चों द्वारा क्षमता से अधिक काम करवाते हैं और खाने के लिए भरपेट खाना भी नहीं देते जिससे वे धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।
बालश्रम करते समय बहुत से बच्चे और बच्चियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। वास्तव में यह एक गंभीर विषय है लेकिन इस पर सरकार ज्यादा ध्यान नहीं दे रही। बाल श्रम की वजह से बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं । बच्चों के माता-पिता चंद पैसों के लिए अपने बच्चों को मजदूरी पर लगा देते हैं, लेकिन वह यह नहीं समझते कि बच्चा मजदूरी करने के कारण अशिक्षित ही रह जाएगा तो उसे नौकरी नहीं मिलेगी और वह जीवन भर गरीब मजदूर ही बना रहेगा।
बच्चों से काम करवाने के कारण बच्चों का शारीरिक मानसिक बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है जिसके कारण एक अच्छे समाज का विकास नहीं हो पाता है।
बालश्रम रोकने के उपाय- बाल श्रम को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें अपनी सोच को बदलना होगा। हमें अपने घरों या दफ्तर में किसी भी बच्चे को काम पर नहीं रखना चाहिए, अगर आसपास कहीं भी किसी बच्चे के साथ यह अन्याय हो रहा है तो उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। बच्चे के मालिक को समझाना चाहिए।
बच्चे के माता-पिता से बात करके उनके हालातों को समझना चाहिए तथा उनको बच्चे के भविष्य के बारे में जागरूक करना चाहिए। अगर आपके सामने बाल श्रम का मामला आए तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में खबर करनी चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कठोर दंड का प्रावधान करना चाहिेए।
अगर आप समर्थ हैं तो कम से कम एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्चा उठाएं, क्योंकि जब तक हम खुद अपने समाज की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता । सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते। वैसे तो सरकार ने भी बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट (The Child Labor Act) बनाया जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से काम करवाना दंडनीय अपराध है।
एक और नियम। (The right of children to free and compulsory education act) इस कानून के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25 % सीटें आरक्षित होंगी।
उपसंहार- जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है। जब हम बच्चे होते हैं तो हमें किसी भी बात की चिंता नहीं रहती, लेकिन जिन बच्चों को मजदूरी पर लगा दिया जाता है, वह कभी खेल नहीं पाते और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते। बाल श्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्तव्य है। हमें इस बुराई को अपने समाज व देश से हटाने के लिए सरकार का पूरा सहयोग देना होगा।
इस समस्या को जल्दी से जल्दी खत्म करने की जरूरत है बच्चे ही अपने विकासशील देश का भविष्य है अगर बच्चों का बचपन ही अंधेरे और बाल श्रम में बीतेगा तो हम एक सुदृढ़ भारत की कल्पना कैसे कर सकते हैं। अगर हमें नए भारत का निर्माण करना है, तो बाल श्रम को जड़ से खत्म करना होगा।
बाल श्रम पर निबंध पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Very nice
Very well written by you. read a lot of information