भूकंप पर निबंध हिंदी में

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भूकंप पर निबंध हिंदी में

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है इसका कोई निश्चित समय नहीं है, कि वह किस मौसम में आएगा, लेकिन भूकंप जब भी आता है चारों ओर तबाही मच जाती है। दोस्तों आज हम भूकंप पर निबंध हिंदी में के माध्यम से इस विषय पर प्रकाश डालेंगे।

प्रस्तावना- भूकंप 2 अक्षरों भू+ कंप= भूकंप से बना है। भू मतलब धरती और कंप का अर्थ है का कंपन। धरती पर हुए अचानक कंपन को भूकंप कहते हैं। मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है इस कारण कई प्राकृतिक आपदाएं आती है।

भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है। पृथ्वी के जिस भाग पर भूकंप आता है, उस जगह सब कुछ समाप्त हो जाता है। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मलबे में दब जाते हैं, और मर जाते हैं हंसती खेलती दुनिया वीरान हो जाती हैं।

 भूकंप क्या है- पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप कहते हैं। कभी-कभी भूकंप की तीव्रता कब होती है तो इसका पता नहीं चल पाता, लेकिन कभी-कभी भूकंप काफी हिंसक और विनाशकारी होते हैं जो इमारतों और मानव जाति व अन्य संपत्तियों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।

भूकंप को रोकने के लिए बहुत से उपाय खोजने के प्रयास किए गए हैं किंतु कई वर्षों की लगातार मेहनत के बाद भी वैज्ञानिक भूकंप के रोकथाम का उपाय आज तक नहीं खोज पाए हैं।

भूकंप के कारण- भूकंप आने के कारणों पर सभी की अलग-अलग राय है। भूगर्भ शास्त्रियों का कहना है कि- पृथ्वी के भीतर की प्लेटों में सभी धातुएं और पदार्थ तरल रूप में पाए जाते हैं। जब वे तरल पदार्थ पृथ्वी के अंदर की गर्मी के कारण अधिक तेजी से बहते हैं और फैलते हैं तब धरती में कंपन होता है और धरती के कंपन ही भूकंप कहलाते हैं। कभी-कभी वह तरल पदार्थ ज्वालामुखी के जरिए बाहर आ जाते हैं।

एक अन्य धारणा यह भी है कि पृथ्वी के अंदर प्लेटों के खिसकने से भी धरती हिल उठती है जो भूकंप का कारण है। जबकि कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार पृथ्वी पर जब जनसंख्या बढ़ जाती है तो उसे कम करने के लिए, प्राकृतिक संतुलन बनाने के लिए प्रकृति खुद ही भूकंप पैदा करती है।

भूकंप को मापने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रकार के पैमानों का आविष्कार किया है। 1. मर्केल्ली पैमाना। 2. रिक्टर पैमाना।

1. मर्केल्ली पैमाना- इस पैमाने द्वारा भूकंप को उसकी तीव्रता की बजाय उसकी ताकत के आधार पर मापते हैं, लेकिन यह पैमाना रिक्टर पैमाने के मुकाबले कम कारगर है।

2. रिक्टर पैमाना- रिक्टर पैमाना भूकंप की तीव्रता को मापने का एक गणितीय पैमाना है। यह पैमाना भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। अगर 2 से 3 तक के रिएक्टर स्केल का भूकंप होता है तो यह भूकंप इतना तीव्र नहीं होता है लेकिन भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होती है तो भीषण विनाश होता है। 9 अंतिम बिंदु नहीं है, बल्कि इससे ऊपर भी भूकंप आ सकता है, लेकिन आज तक इससे ऊपर कोई भूकंप नहीं आया है।

भूकंप की तीव्रता- भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र से दूर उससे प्रभावित हुए लोग, इमारतों आदि से लगाया जाता है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा काफी अधिक होगी जो तबाही भी ज्यादा बढ़ा देगी। वहीं अगर भूकंप गहरा होता है तो वह पृथ्वी को ज्यादा नहीं हिलाता जैसे- पाकिस्तान में आए भूकंप का केंद्र 84 किलोमीटर नीचे था इसलिए काफी तीव्रता का भूकंप होने के बाद भी इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।

भूकंप से नुकसान- भूकंप आने के कारण तो बहुत हैं। भूकंप चाहे किसी भी कारण से आए लेकिन जब भी भूकंप आता है तो अपना विनाशकारी रूप दिखाता है। यह जानलेवा ही नहीं, बल्कि मनुष्य की शताब्दियों की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। लोगों की जान चली जाती है काफी लोग घायल हो जाते हैं और बेघर भी हो जाते हैं।

भूकंप के कारण जो लोग धरती में और मलबे में दब जाते हैं उनके मृत शरीरों को निकालने के लिए पृथ्वी की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं। धनवान भी निर्धन हो जाते हैं और निर्धनों के जीने के लाले पड़ जाते हैं।

भारत के गुजरात राज्य के भुज में 26 जनवरी 2001 की सुबह ऐसा भूकंप रहा कि जिसने चारों ओर तबाही मचा दी। आज भी जब उस भूकंप के बारे में सुनते हैं तो हृदय कांप जाता है। उस भूकंप की माप 7.7 थी।

ऐसा ही एक भूकंप 1935 में क्वेटा में आया। जहां भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया। हजारों स्त्री पुरुष जो चैन की नींद सो रहे थे, क्षण भर में ही मौत के मुंह में समा गए। मकान, सड़क, पेड़ – पौधे सब नष्ट हो गए, बहुत से लोग अपाहिज हो गए, बच्चे लावारिस हो गए कितने ही लोग बेघर हो गए।

जापान ऐसा देश है जहां अक्सर भूकंप आते हैं इसलिए वहां के लोग सीमेंट और ईंट के मकान नहीं बनाते हैं। वहां के लोग गत्ते, प्लास्टिक तथा लकड़ियों के मकान बनाते हैं क्योंकि भूकंप आता है तो भयानक जान माल की हानि होती है।

निष्कर्ष- आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। विज्ञान ने मनुष्य के आराम और सुख सुविधाओं का हल खोज लिया है, किंतु भूकंप के कारण क्षण भर में ही प्रलय का मंजर दिखाई देता है। वैज्ञानिक अभी तक ऐसा उपकरण भी नहीं बना पाए जिससे पता लगा सके, कि पृथ्वी के किस भाग में भूकंप आने की संभावना है। और ना ही अभी तक भूकंप रोकने का उपाय खोज पाए हैं।

मनुष्य को अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए। मनुष्य को हमेशा ईश्वर पर विश्वास कर इसकी शक्ति के आगे झुकना चाहिए। भूकंप को रोका नहीं जा सकता, परंतु सावधानी बरतने से इससे होने वाली क्षति अवश्य कम की जा सकती है।

भूकंप से बचाव के लिए भूकंप रोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए। भूकंप के समय अगर घर में हो तो घरों से बाहर निकल जाएँ अगर बाहर जाना संभव न हो तो किसी मेज के नीचे या किसी कोने में चिपक कर बैठ जाएँ।

दोस्तों अगर आपको भूकंप पर निबंध हिंदी में पसंद आया हो तो भूकंप से बचाव के उपाय के बारे में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को जरूर बताएं।

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