महान गणितज्ञ रामानुजन

दोस्तो! आज हम बताने जा रहे हैं ऐसे महंगा थक गए के बारे में जिन्होंन काम उम्र में हीअपने दम पर ज्यामितीय और अंकगणितीय श्रृंखलाओं का योग करना शुरू कर दिया। श्रीनिवास रामानुजन विश्व के सर्वकालिक महान गणितज्ञों में से एक हैं। इसके अलावा, एक गरीब भारतीय परिवार का यह व्यक्ति गणित के क्षेत्र में प्रसिद्धि तक पहुंचा। श्रीनिवास रामानुजन पर यह लेख इस महान व्यक्तित्व के जीवन पर अधिक प्रकाश डालेगा। महान गणितज्ञ रामानुजन

भारत सरकार ने वर्ष 2012 में रामानुजन की जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था। इसके बाद से हर वर्ष 22 दिसंबर का दिन राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाया जाता आ रहा है। राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर देश भर के विभिन्न राज्यों में स्थित विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व अन्य शैक्षणिक संस्थानों में गणित सीखने सिखाने व उसे प्रोत्साहित करने से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

भारत में प्राचीन काल से ही आर्यभट्ट, वराहमिहिर, नारायण पंडित और भाष्कराचार्य जैसे अनेक महान गणितज्ञ हुए हैं जिन्होंने अपनी गणितीय खोजों द्वारा पूरे विश्व को राह दिखाई। शून्य, दशमलव और अनंत की खोज न हुई होती तो वैज्ञानिक प्रगति के जिस शिखर पर मानव सभ्यता आज विराजमान है वहां तक पहुँचना शायद संभव न हुआ होता। इन गणितीय खोजों के बिना मानव का अंतरिक्ष में जाना और किन्ही दो खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी ज्ञात करना या सागर की गहराई का अंदाज़ा लगाना बहुत ही मुश्किल होता।

केवल प्राचीन युग में ही नहीं बल्कि आधुनिक काल में भी भारत में अनेक महान गणितज्ञ हुए हैं। इनमें श्रीनिवास रामानुजन अत्यधिक विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न थे, जिनकी असाधारण खोजों के समक्ष दुनिया आज भी नतमस्तक है। रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 में तमिलनाडु के इरोड में एक साधारण अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

बाल्यावस्था में ही उन्होंने गणित के क्षेत्र में अपनी रुचि विकसित कर ली थी। 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी। हालांकि गणित के इतर अन्य विषयों में उनकी रुचि न होने के कारण वे औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए थे लेकिन 32 वर्ष के अपने छोटे से जीवनकाल में गणित के क्षेत्र में उन्होंने जिन प्रमेयों का प्रतिपादन किया उसे सिद्ध करने के लिए पूरे विश्व के गणित के विद्वान आज भी लगे हुए हैं।

1904 तक रामानुजन का ध्यान गहन शोध पर था। इसके अलावा, उनके द्वारा श्रृंखला (1/एन) की जांच की गई। इसके अलावा, उनके द्वारा यूलर के स्थिरांक की गणना 15 दशमलव स्थानों तक की गई। यह पूरी तरह से उनकी अपनी स्वतंत्र खोज थी।अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण रामानुजन को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। नतीजतन, वह कुंभकोणम के सरकारी कॉलेज में एक प्रतिभाशाली छात्र थे। इसके अलावा, गणित के प्रति उनका आकर्षण और जुनून बढ़ता गया।1913 के वसंत में, नारायण अय्यर, रामचंद्र राव और ईडब्ल्यू मिडलमास्ट द्वारा ब्रिटिश गणितज्ञों के सामने रामानुजन के काम की प्रस्तुति की गई थी। बाद में, एमजेएम हिल ने रामानुजन को एक छात्र के रूप में लेने की पेशकश नहीं की, बल्कि उन्होंने उन्हें पेशेवर सलाह प्रदान की। दोस्तों की मदद से, रामानुजन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रमुख गणितज्ञों को पत्र भेजे और अंततः चुने गए।

रामानुजन ने कैम्ब्रिज में पांच साल का महत्वपूर्ण समय बिताया। कैम्ब्रिज में रामानुजन का सहयोग हार्डी और लिटिलवुड के साथ हुआ। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि उनके निष्कर्षों का प्रकाशन वहीं हुआ।रामानुजन को मार्च 1916 में रिसर्च डिग्री द्वारा कला स्नातक का सम्मान प्राप्त हुआ। यह सम्मान अत्यधिक समग्र संख्याओं पर उनके काम के कारण था, पहले भाग के खंड जिसका प्रकाशन पिछले वर्ष हुआ था। इसके अलावा, पेपर का आकार पचास पृष्ठों से अधिक लंबा था।

रामानुजन ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (π) की अनंत श्रेणी शामिल थी। उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये कई सूत्र प्रदान किये जो परंपरागत तरीकों से अलग थे।

उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिये नवीन विचार प्रस्तुत किये, जिन्होंने खेल सिद्धांत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। खेल सिद्धांत में उनका योगदान विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित है और इसे अभी तक गणित के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

वर्ष 1976 में जॉर्ज एंड्रयूज ने ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की एक नोटबुक की खोज की थी। बाद में इस नोटबुक को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।

रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है।यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है। 1729, 10 और 9 के घनों का योग है- 10 का घन है 1000 और 9 का घन है 927 और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है। 1729, 12 और 1 के घनों का योग भी है- 12 का घन है 1728 और 1 का घन है 1 और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।

*रामानुजन ने संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण खोजें कीं।

*उन्होंने कई जटिल संख्या सिद्धांतीय सूत्रों और प्रमेयों को सिद्ध किया।

*उन्होंने रैखिक समीकरणों के सिद्धांत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

*उन्होंने फलनों के सिद्धांत और विश्लेषण के क्षेत्र में भी कई खोजें कीं।

*उन्होंने अनंत श्रृंखलाओं के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रामानुजन की खोजों ने गणित के क्षेत्र में एक नया युग का सूत्रपात किया। उनकी खोजों का उपयोग आज भी गणित के कई क्षेत्रों में किया जा रहा है। रामानुजन एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। उन्होंने दिखाया कि प्रतिभा और लगन से कोई भी ऊंचाइयां प्राप्त कर सकता है।

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