
दोस्तों आज हम वृक्षारोपण पर निबंध के माध्यम से अपने पेड़ पौधों के बारे में आप सभी को छोटी सी जानकारी देने जा रहे हैं। जिसमें एक छोटा और एक निबंध विस्तार में लिख रहे हैं।
वृक्षारोपण पर निबंध 150 शब्दों में
वृक्ष हमारे बहुत ही अच्छे मित्र हैं। पेड़ पौधों का हमारे जीवन में बहुत ही विशेष महत्व है। वृक्षों से हमें फल, सब्जियां, लकड़ियां आदि प्राप्त होती है। पेड़ों से हमें फर्नीचर, कागज और बहुत सारी दवाइयां भी प्राप्त होती है। जो मानव शरीर के कई प्रकार के रोगों का उपचार करती हैं।
जिस प्रकार से मनुष्य वृक्षों को निरंतर काट रहा है उससे हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। वृक्षों को सुरक्षित रखने के लिए हमें वृक्षारोपण की आवश्यकता है, क्योंकि वृक्षों के बिना हमारा जीवन शून्य है, अगर मानव इसी प्रकार वृक्षों की कटाई करता रहा तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा।
किसी भी जगह की वर्षा और वायुमंडलीय तापमान उस जगह के वृक्षों पर निर्भर करता है । वृक्षों की निरंतर कटाई के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी खतरनाक गैस की मात्रा बढ़ रही है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वनों के विस्तार की आवश्यकता है, जिससे कि रोजगार और उत्पादन मात्रा में वृद्धि आ सके।
वृक्षारोपण पर निबंध,
वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध।
प्रस्तावना- मानव को जीवन जीने के लिए किन- किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है? लोग कहते हैं रोटी कपड़ा और मकान बस, लेकिन मनुष्य की सबसे बड़ी प्रमुख पर प्रथम आवश्यकता है सांस लेना जिसके लिए पेड़ पौधे जरूरी हैं। सोचिए अगर पृथ्वी पर वृक्ष नहीं होंगे तो क्या कोई जीव जंतु मानव जीवित रह सकेगा? नहीं। इसलिए वृक्षारोपण सर्वोपरि कार्य होना चाहिए तथा वन संरक्षण की भी आवश्यकता है।
वृक्षारोपण की परिभाषा- वृक्षारोपण दो शब्दों से मिलकर बना है वृक्ष+ रोपण= वृक्षारोपण। किसी भी वृक्ष या पौधे को कहीं रोपना या लगाने की क्रिया को वृक्षारोपण कहते हैं। वृक्ष हमारे वातावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाते हैं। इनकी जड़ें भूमि के कटाव को रोकती हैं। वृक्षारोपण से तात्पर्य वृक्षों के विकास के लिए पौधों को लगाना और पृथ्वी को हरी भरी वसुंधरा बनाना।
वृक्षारोपण का महत्व- वृक्षारोपण का मतलब यह नहीं कि केवल आपने एक या एक से अधिक पौधे लगा दिए और आपका काम हो गया आप किसी भी पौधे को लगा रहे हैं तो, जब तक वह पौधा भूमि में जम न जाए, और उस पौधे का विकास आरंभ ना हो जाए तब तक आप को निरंतर उसकी देखभाल एक बच्चे के समान करनी होगी प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का महत्व है।
मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरंभिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात पेड़-पौधे ही रहे हैं क्योंकि शुरुआत में आदिमानव पेड़ पौधों पर ही रहते थे। वह (आदिमानव) पहले पेड़ों की छाल से और पत्तियों से अपना तन ढकते थे। फल-फूल आदि खाकर अपना पेट भरते थे धीरे-धीरे मानव ने विकास किया उसके बाद ग्रंथ, पत्र आदि लिखने के लिए जिस वृक्ष का उपयोग किया जाता था वह विशेष था उसके पत्तों को भोजपत्र कहा जाता था।
भारत देश की सभ्यता वनों की गोद में ही विकास मान हुई है हमारे यहां के ऋषि-मुनियों ने वृक्ष की छांव में ही बैठकर तप किए और ज्ञान के भंडार को मानव को सौंपा है। पक्षियों का चहकना फूलों का खिलना किस के मन को नहीं भाता इसलिए हमारी संस्कृति में वृक्ष समाहित है। हमारे देश में वृक्षों की पूजा की जाती है ऐसे कई वृक्ष है जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है जैसे- नीम का पेड़, पीपल का पेड़, आंवला, बरगद आदि वृक्ष शास्त्रों के अनुसार पूजनीय है।
वृक्षारोपण से लाभ- वृक्षारोपण का महत्व हमें समझना चाहिए, और अपनी आने वाली पीढ़ी को भी वनों के महत्व के बारे में बताना चाहिए। वृक्ष हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं जिसके बिना संपूर्ण मानव जाति का जीवित रहना असंभव है। वनों से हमें भवन बनाने हेतु सामग्री प्राप्त होती है। औषधीय जड़ी बूटी, घास, जानवरों का चारा भी वनों से ही प्राप्त होता है।
वृक्ष ही तापमान को सामान्य रखने में सहायक हैं। बांस की लकड़ी और घास से हमें कागज प्राप्त होता है, जो हमारे कागज उद्योग का मुख्य आधार है। वृक्षों के द्वारा वर्षा का संतुलन बना रहता है, और वर्षा से कृषि क्षेत्र में लाभ मिलता है। प्रदूषण का खतरा इन दिनों बहुत अधिक बढ़ रहा है, इससे बचने का एकमात्र तरीका यही है, कि हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
वृक्षों की कटाई से होने वाले दुष्परिणाम- इस संपूर्ण ब्रह्मांड में मानव ही एक ऐसा जीव है जो कि स्वार्थी है। वह (मानव) अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए बेझिझक वनों की कटाई कर रहा है। औद्योगिकीकरण व जनसंख्या के चलते निरंतर पेड़ काटे जा रहे हैैं। वनों के कम होने से पशु- पक्षियों पर भी असर पड़ रहा है। पहले चारों और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज आती थी, लेकिन अब तो घरेलू चिड़िया कहीं भी दिखाई नहीं देती।
वृक्षों की कटाई के कारण ही कभी अकाल तो कभी सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग जैसी खतरनाक घटना भी वनों की अंधाधुंध कटाई से ही हो रही है। वनों के निरंतर कटने के कारण वातावरण में ऑक्सीजन गैस की मात्रा कम हो रही है। अगर इसी प्रकार वनों की कटाई होती रही तो मानव जीवन पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
वन महोत्सव कार्यक्रम- हमारे देश में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए वन संसाधनों के संरक्षण पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है, इसके लिए पूरे देश में अधिक से अधिक वृक्षारोपण पर जोर दिया जा रहा है।
1950 में भारत सरकार ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसका नाम वन महोत्सव रखा गया । तब से लेकर आज तक वन विभाग की देखरेख में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 5 जून को भारत में वृक्षारोपण दिन मनाया जाता है।
निष्कर्ष- पेड़ पौधे खुद धूप और तूफान सहते हैं, और हमें शीतल हवा और छाया प्रदान करते हैं। वृक्षों पर मीठे फल लगते हैं, उन फलों को वृक्ष नहीं खाते हम मनुष्य ही उन फलों का आनंद लेते हैं। हमें इनकी रक्षा करनी होगी, और लोगों को पेड़ काटने से रोकना होगा । यदि हमें अच्छा जीवन, शुद्ध हवा, अच्छा वातावरण चाहिए तो, हमें वृक्षारोपण के महत्व को समझना होगा।
प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह वृक्षों को ना काटे, अगर किसी ने एक वृक्ष को काटा है, तो उसका प्रायश्चित करना चाहिए। उस एक वृक्ष के बदले कम से कम 20 पौधे लगाए, और उन छोटे पौधों की देखभाल करें। हमें अपनी पृथ्वी को हरी- भरी वसुंधरा बनाना है, तो आइए हम सब यह प्रण लेते हैं कि हम वृक्षारोपण को अपना मुख्य कर्तव्य मानेंगे।
दोस्तों आपको वृक्षारोपण पर निबंध पसंद आया हो तो अपने बच्चों को और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को वृक्षारोपण का महत्व अवश्य बताएं।
बहुत अच्छा
Brilliant
Incredible
Jin se hamko chhaon hai milte, jinse hamko sans hai milti.kya hamara ye kartavya nahi banta ki hame pad lagane chahiye please vraksharopan avashy kare