15 August भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

15 August भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
15 August भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

15 August भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

हर साल 15 अगस्त को, हम सभी आजादी का जश्न मनाते हैं। हर भारतीय नागरिक देश आजाद होने की खुशी मनाता है और अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्यार का इजहार करता है। 15 अगस्त भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन ब्रिटिश साम्राज्य की हुकूमत खत्म हो गई थी और भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया था।

वो साल 1947 का था, जब आधी रात के समय, देश का हर पुरुष, महिला और बच्चा जाग उठा,  देश स्वतंत्रता के एक नए युग और एक नए शासन का स्वागत करने के लिए तैयार था। तब से, हर साल 15 अगस्त को हम अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते आ रहे हैं। 2022 का यह 75वां स्वतंत्रता दिवस है जिसे हम अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।

दोस्तों! लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया जाता रहा था। सबसे पहले स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी 1930 को मनाया गया ।

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        इसी दिन जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को आधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। 26 जनवरी तिथि को महत्त्व देने के लिए 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया।

1947 को ही स्वतंत्रता दिवस ( आजादी) के रूप में क्यों चुना गया?        दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर में अधिवेशन हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। अधिवेशन में पंडित नेहरू ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव रखा प्रस्ताव में कहा गया था, कि यदि अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को उसका प्रभुत्व नहीं देती है, तो भारत खुद को स्वतंत्र घोषित कर देगा।

       इसलिए कांग्रेस ने 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस ( स्वतंत्रता दिवस) घोषित किया पर जब अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ नहीं किया, तब कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए सक्रिय आंदोलन शुरू किया।

       यह बात उस दौर की है जब भारत में अंग्रेजों का तानाशाही शासन था। उस समय भारत के तत्कालीन वायसराय थे लॉर्ड लुईस माउंटबेटन, जिन्हें ब्रिटिश की संसद ने भारत में सत्ता संभालने की जिम्मेदारी सौंपी थी। ब्रिटिश सरकार का भारत की आजादी को लेकर पूरा प्लान तैयार था। योजना के अनुरूप भारत को आजादी देने का समय निर्धारित हुआ जून 1948।

          नए-नए बने भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से मिलकर बात करनी शुरू कर दी। बात तब फंसी जब जिन्ना ने अपना अलग देश बनाने की मांग शुरू कर दी जिसे लेकर दोनों नेताओं जिन्ना और नेहरू के बीच बहस शुरू हो गई।

         दोनों के बीच मतभेद बढ़ने लगे जिसका असर देश की आम जनता पर काफी गहरा पड़ा इतना ही नहीं देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक झगड़े काफी हद तक बढ़ने लगे। देश की स्थिति बिगड़ते देख आजादी 1948 की जगह 1947 को ही निर्धारित करने की बाद तय हो गई।

1947 में 15 अगस्त को ही क्यों ?

       लॉर्ड माउंटबेटन की जिंदगी में 15 अगस्त का दिन बहुत खास था। खास होने की वजह थी 15 अगस्त 1945 के दिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था। उसी समय ब्रिटिश की सेना में लॉर्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज के कमांडर थे।

         जिसका पूरा श्रेय माउंटबेटन को ही दिया गया बस यही कारण था जिसके चलते उन्होंने 15 अगस्त को अपने लिए शुभ मान लिया और भारत की आजादी को भी इसी दिन में बदल कर इस दिन को और भी यादगार बना दिया।

दोस्तों! आपको यह जानकारी (15 August भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास)कैसी लगी अपने सुझाव एवं विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य दें धन्यवाद।

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